गुरू बबा के गियान ला गुनव

हमर छत्तीसगढ मा दिसंबर के महीना मा हमर गुरू घाँसी दास बबा के जनम जयंती ला बङ सरद्धा अउ बिसवास ले मनाथें। गुरु बबा के परति आसथा अउ आदर देखाय के सबले सुग्घर,सरल उदिम हरय जघा-जघा जयंती मनाना। उछाह के संग भकती के मिलाप ले जयंती हा अब्बङ पबरित जीनिस बन जाथे। जयंती के तियारी पंदरही के आगू ले करत आथें। गाँव-गाँव,गली-गली, चउक-चउराहा मा सादा सादा धजा,सादा तोरन पताका,सादा-सादगी ले पंथी नाच गान के अयोजन अउ प्रतियोगिता महीना भर चलत रहीथे। पंथी नाच गान हा सुनता अउ जोश के अद्भुद मेल होथे। भक्ती के संग शक्ति के प्रदर्शन पंथी नाच मा झलकथे। अपन गुरू बबा के प्रति अंतस ले अभार जताये के सुग्घर बेवसथा पंथी नाच गान हा हरय। पंथी हा सिरिफ नाच-गान नइ हो के गुरु बबा के बिचार ले परभावित जीवन दर्शन हरय।



हमर गुरु बबा घाँसीदास हा अपन जिनगी ला सत अउ ईमान के सेवा अउ खोज मा बिताइन। गुरु बबा हा समाज मा फइले बुराई अउ कुपरथा के जीयत भर बिरोध करीन। छुआछुत के बिरोध मा “मनखे मनखे एक समान” के अमर संदेश ला सरी जग ला बताइन। गुरु के जीवन दर्शन हा मानवता के अमर संदेश ला जुग जुग ले अमर बना दीस। गुरु बबा हा ए वर्तमान समे के एक करांतिकारी संत सिरोमनी रहीन। एमन हा कभु समाज मा अनियाय अउ झूठ लबारी,असत के संग कभुच नइ दीन। अइसन के जिनगी भर बिरोध करते रहीन। एखर संगे संग समाज मा इस्थापित वर्ण बेवसथा के प्रबल बिरोध हमर गुरु बबा हा करीन। ए मन हा समाज के पिछङे अउ कमजोर वर्ग के सदा संग दीन। गुरु बबा हा जात पात मा भेदभाव,सुनता अउ भाईचारा के कमी ला देख के अब्बङ दुखी होवंय। गुरु बबा हा सरलग प्रयास करते रहीन के समाज मा अमरबेल कस छाहित ए जम्मो बुराई ले लोगन मन ला कइसे मुकती देवाय जाये। सबो के दुख पीरा ले मुकती के उपाय खोजे बर बबा हा रातदिन संसो मा परके प्रयास मा लगीन। कोनो समाधान के रद्दा मिलत नइ देख के गुरु बबा हा सत के खोज मा गिरौधपुरी के जंगल मा छाता पहार मा औंरा-धौंरा के पेङ तरी समाधी लगा लीन अउ सत के खोज मा अपन आप ला समरपित कर दीन। इही बीच गुरु हा गिरौधपुरी मा अपन आसरम बनाइस अउ सोनाखान के जंगल मा सत अउ ईमान के खोज करे बर बङ लम्बा तपसिया घलाव करीन। गुरु बबा हा भारी घोर तपसिया ले सत के मरम अउ गियान ला पाईन। गुरु बबा हा सत अउ इमान के बिचार बेवहार ला सतनाम पंथ मा जोर के आघु बढाइन अउ समाज ला सत के सिक्छा दीन। सतगुरु घाँसीदास बबा के सत के सात सिक्छा अइसन रहीस जेखर ले सबो के कलयान होवय।

1~सतनाम उपर भरोसा अउ बिसवास रखव।
2~कोनो जीव के कभु हतिया झन करव।
3~मास के अहार कभु झन करव।
4~चोरी अउ जुआ ले दुरिहा रहव।
5~नसा के सेवन कभु झन करव।
6~जात पात के झंझट मा झन परव।
7~पर नारी ले बङ दुरिहा रहव।


सतनाम के ए सात सिक्छा आज घलो समाज अउ हमर बर घातेच जरूरी हे। सत के सात सिक्छा बिन सतनाम अबिरथा हावय अउ सतनामी अधमरा हावंय। हमर गुरु बबा हा इही गियान के खोज मा घोर जप तप ला करे रहीन के अइसन कोनो उपाय ले समाज के सरी दुख पीरा हा सिरा जाय। सतनाम के इही सात सिक्छा हा ही समाज अउ मनखे के सरी दुख पीरा ला मेटा सकथे,दुरिहा सकथे। समाज उन्नति अउ उछाह भर सकथे। ए सात सिक्छा ला छोङ अउ कोनो उदिम नइ हे जेखर ले जिनगी के सरी झंझट फटफट ले मुकती मिल जाय।

गुरु घाँसी बबा हा समाज बा बियाप्त जातपात के बिसमता ला,ऊँच नीच अउ भेदभाव के बिरोध जीयत भर नंगत बिरोध करीन। घाँसीबबा हा बावहन मन के एकाधिकार अउ प्रभुत्व ला कभुच नइ मानीन अउ चार वर्ण मा समाज ला बटइया जाति प्रथा के घोर बिरोध करीन। गुरुबबा के अइसन मानना रहीस के समाज मा सब्बो मनखे समाजिक रुप ले एक बरोबर सरोकार रखथे। सरी मनखे हा एक समान होथे। गुरूबबा हा मुरती पूजा के घलो भारी बिरोध करीन। इंखर मानना रहीस के समाज के ऊँच अउ बङहर मनखे मन अउ मुरती पूजा मा बङ गहरा संबंध होथे। मुरती पूजा अउ अंधबिसवास के आङ मा समाज के सिधवा, गरीबहा अउ अप्पङ मनखे ला देवता अउ धरम के डर देखा ठगे,लुटे जाथे। समाज मा इही लुटे अउ ठगे के गोरखधंधा वाले मन ले सबला सावधान करे सरी उदिम गुरू बबा हा करते रहीन। गुरू बबा हा माल मत्ता, पसुधन ले परेम करे के सीख दीन। पसुधन उपर अतियाचार करे के बिरोध करतेच रहंय। गुरूबबा हा सतनाम पंथ मा खेती-किसानी बर पसुधन के उपयोग करे बर बरजे हावंय। गुरू बबा के सतनाम संदेश के समाज के कमजोर अउ पिछङे समदाय मा बङ गहरा असर पङीस। सतनाम के अमर संदेश ला गुरूबबा हा छत्तीसगढ अउ हमर देसभर मा फईलाइन। घाँसीबबा के गियान अउ संदेश, सतनाम पंथ के लाखों भगद अउ अनुयायी बनीन। लोगन ला अपन जिनगी के दुख पीरा अउ असत ले बाँचे के सुग्घर रद्दा गुरुबबा के गियान मा मिलीस।



गुरू घाँसीदास के जनमभूमी गिरौधपुरी हा बबा के तपसिया इस्थल अउ भंडारपुरी हा करमइस्थल रहीस जिहाँ ले सतनाम के अमर संदेश ला बगराइन। घाँसी बबा के जनम हा 18 दिसंबर सन् 1756 ई.मा हमर छत्तीसगढ राज के बलौदाबाजार जिला के गिरौध गाँव मा होय रहीस। इंखर महतारी के नांव अमरौतिन अउ ददा के नांव मंहगूदास रहीस।

अमरौतिन के लाल भयो,बाढो सुख अपार।
सत्यपुरुष अवतार लिन्हा,मंहगू घर आय किन्हा।।

घाँसीदास हा अपन पाँच भाई मा मंझला रहीन। इंखर नांव मा नान्हेंपन मा घसिया रहीस। ए मन हा परकीरति परेमी लइकापन ले रहीन। घाँसीदास के बिहाव सिरपुर के अंजोरी दास के बेटी सफुरा बाई संग होइस। इंखर चार बेटा अमरदास, बालकदास,आगरदास,अङगडिया दास अउ एक झन बेटी सुभद्रा रहीन। इंखर संग अङबङ अलउकीक घटना घेरी बेरी घटीस। इंखर मन कभु घर-संसार के बुता काम मा नइ लगीस अपन परवार ले दु िरहा सतनाम के सिक्छा ग्रहन घाँसीदास जी हा करीन। गुरु घाँसी हा सोनाखान के घनघोर जंगल मा जोंक नदिया के तीर मा तपसिया करे मा रमगे। घोर तपसिया ले सत के अनुभूति होइस अउ गुरु घाँसी दास ला सत के सिद्धी मिलीस। सत के सिक्छा ला बगराय मा लग गे। गुरू बबा हा संसार के भोग बिलास ला तियाग के भन्डारपुरी मा आसरम बना के जन-जन के कलयान बर अपन जिनगी ला समरपित कर दीन। गुरू बबा हा सतनाम के अगुवा,समता अउ सुनता के पुजेरी, छुआछुत-जातपात के बिरोधी,कुपरथा अउ कुरीती के सुधारक बनीन। भाईचारा अउ संगठन के शक्ति ला सतनाम पंथ के संग गुरु बबा हा जोर के समाज ला सिक्छित करे के उदिम सरलग करीन। गुरूबबा हा पसुबली,मंद-मउहा,नारी उपर अतियाचार,पर नारी संग संभोग अउ छुआछुत,ऊँचनीच के भेदभाव के अपन जियत भर नंगत बिरोध करीन। लोगन अउ समाज ला अइसन दुसकरम ले हर हाल मा दुरिहा रहे के गियान दीन।



संत सिरोमनी गुरू घाँसीदास बबा के अवतरन हा छत्तीसगढ अंचल बर बरदान बनीस। आरथिक,समाजिक अउ राजनेतिक उद्धार वो जुग मा गुरु बबा के अवतरन बिन कभुच नइ हो सकतीन। आज अब ए जुग मा घलाव गुरु बबा के सत के गियान के खच्चित जरुरत हावय। सरी समाज अउ संसार ला सत अउ ईमान के घातेच आवसकता हावय। सतनाम के गियान ला जाने समझे ले जादा एला माने के,एला अपन जिनगी मा उतारे मा जादा सारथकता हावय। बच्छर भर मा एक दिन गुरु बबा के सुरता अउ सेवा सरधान्जली दे ले सतनाम के अंजोर नइ बगर सकय। अइसन करे ले हमर जिनगी मा कोनो बदलाव नइ आ सकयसमाज अउ संसार मा फइले अंधियार ला सिरिफ सत अउ ईमान के अंजोर हा हर सकथे। गुरु बबा के सतनाम के गियान ला आज हम सबला अपन जिनगी मा हमर आचरन मा अउ बेवहार मा जियत भर उतारे ला परही तभेच बात बनही। तन अउ बाताबरन ला सिरिफ सादा-सादा करे ले जादा अंतस ला सादा सवच्छ अउ सरल करे ले हमर जिनगी मा सुधार आही। आज सरी समाज ला गुरुबबा ला माने ले जादा उंखर बताय गियान ला माने के,अपन जिनगी मा उतारे के आवसकता हावय। सतनाम के अंजोर ले समाज अउ संसार के सरी अंधियार ला दुरिहा भगाय बर आज हमला सत के नाव ले के नइ सत के आचरन अउ बेवहार करे के खच्चित जरुरत हे। अइसन हमर सत करम हा हमर गुरु घाँसी बबा बर सिरतोन आदर अउ सरद्धाजंली होही।

*गुरु घाँसी बबा के गियान,मनखे-मनखे एक समान*।
*सत अउ ईमान ए कलजुग के सबले बङे भगवान*।।

सतनाम के गुनगान करत ए पंथी गीत ला देखव:-
हिन्दू हिन्सा जर छुआछुत माने हो,
पथरा ला पूज-पूज कुछु नइ पाये हो।
कांस,पीतल ला भैया मुरचा खाही हो,
लकङी कठवा ला घुना खाही हो।
सब्बो घट मा सतनाम हा समाही हो,
गुरु घाँसीदास मन के भूत ला भगाही हो।
जीव बलिदान ला गुरु बंद कराये हो,
सतनाम रटत राखे रहव मन मा,
माटी के पिंजरा ला परख ले तोर मन मा,
ए माटी के तन हा माटी मा समाही हो।
ए मानुस तन बहुरि नहीं आही हो।।

कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक
भाटापारा (छ.ग)
संपर्क ~ 9200252055
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